Maan Singh Suthar
Literary Colonel
34
Posts
0
Followers
0
Following

None Writer and poet

Share with friends
Earned badges
See all

हर नज़र से देखा है मैंने हर रोज़ सुबह का अलग अंदाज़ होता है।

आशा और निराशा के भंवर में उलझी है ज़िन्दगी कभी सहर से डर तो कभी रात के सायों से। M.S.Suthar

खुद के संजोए सपनों का त्याग कर दिया मैंने अपनी ज़िंदगी को वक्त के हवाले कर दिया मैंने फिर भी दिल को एक पल का चैन नहीं मिलता हे ईश्वर ये तुने ठुकरा दिया कितना मान दिया मैंने। M.S.Suthar

उलझनों में उलझकर रह जाती है ज़िन्दगी अनचाहे रिश्तों में ठहर जाती है ज़िन्दगी घुटन सी होती है हर पल निकलने की शुरू तो हुई न जाने कब खत्म होगी ज़िन्दगी। M.S.Suthar

ज़िन्दगी एक खेल ही तो है मज़ाक मज़ाक में मज़ाक बन जाता है रिश्तों का बंधन सनातन संस्कार है कभी कभी पांव की जंजीर बन जाता है। M.S.Suthar

कुछ विशेष कुछ खास है वो हमारे लिए दिल में हलचल होती है बस तुम्हारे लिए मिलने को दिन भर बहुत लोग मिलते हैं जाने क्यूं तुम हरदम खास हो हमारे लिए। मानसिंह सुथार .....

वो घर एक स्वर्ग है जिसमें बुजुर्ग है पुराना पेड़ और भी गहरी छांव देता है । तीन से चार पीढ़ियां मिल के रहे जब वो घर फिर एक स्वर्ग का भाव देता है।


Feed

Library

Write

Notification
Profile