Manisha Maru
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भयावह वह मंजर था जब डर मेरे अंदर था। डर के फन को कोशिश कर मैंने कुचल डाला। हौसलों से नव सृजनशील सागर को रच डाला। खुबसूरत एहसास अंदर था डर केवल वहम था।

हर ख्वाहिशों कोना तू दफन कर। नारी है तू देवी ना बन जहां आत्म सम्मान की बात आए जरूर अपने हक के लिए तू लड़

आईना कह रहा हमसे छोड़ उम्र की फिक्र देख जरा खुद को, अभी भी कुछ ना बिगड़ा है देख ले जरा खुद को परेशानियों से झुर्रियों को ना बुलाओ, खुद के लिए मुस्कुराने की वजह खुद ही बन जाओ।

ये कर्म तो भूमि हैं, सबके अपने अपने जीवन की। तुम्हें खुद को ही मालूम नही, ताकत तेरे भीतर की। स्वागत कर रही नई लहरों की डगर , जरा सुन ललकार अपने नवीन पथ की। हार कर भी सदा, एक नव प्रयास करो तुम, सुनकर झंकार अपने हारें हुए कदमों की। Manisha Maru

लेखक जो मन की भावनाओं को समझ, शब्दों को मोतियों की तरह पीरों कर, कागज पर उतार देता हैं।

जीवन की राहों में फूल कम और कांटो से मुलाकातें ज्यादा हुई। फूलों की सुंदरता और उसकी खुशबू , अक्सर ही रुकावट बन जाती हैं सफर मैं, लेकिन कांटों की चुभन से मैं हरपल मजबूत हुई।

जब इश्क तन से नही मन की डोर से मजबूत होता है। तो इंतजार और प्यार दोनों ही समुंद्र सा गहरा होता हैं।

जीवन की किताब का हर एक पन्ना colourfull हो यह तो मुमकिन ही नहीं....। लेकिन जब आजाए हमें दर्द में मुस्कुराना... तो फिर black n white पन्नों का भी हमारे जीवन में कुछ फर्क पड़ता नहीं।

नारी को परिभाषित करना, नहीं हैं इतना आसान। बस इतना समझ लो, हर फर्ज़ पे हो जाती हैं वो कुर्बान। #Happy_Women's_Day to all beautiful...😘😘 🌹मनीषा मारू🌹


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