A Blogger.....A Poet by ❤️
Share with friendsभयावह वह मंजर था जब डर मेरे अंदर था। डर के फन को कोशिश कर मैंने कुचल डाला। हौसलों से नव सृजनशील सागर को रच डाला। खुबसूरत एहसास अंदर था डर केवल वहम था।
हर ख्वाहिशों कोना तू दफन कर। नारी है तू देवी ना बन जहां आत्म सम्मान की बात आए जरूर अपने हक के लिए तू लड़
आईना कह रहा हमसे छोड़ उम्र की फिक्र देख जरा खुद को, अभी भी कुछ ना बिगड़ा है देख ले जरा खुद को परेशानियों से झुर्रियों को ना बुलाओ, खुद के लिए मुस्कुराने की वजह खुद ही बन जाओ।
ये कर्म तो भूमि हैं, सबके अपने अपने जीवन की। तुम्हें खुद को ही मालूम नही, ताकत तेरे भीतर की। स्वागत कर रही नई लहरों की डगर , जरा सुन ललकार अपने नवीन पथ की। हार कर भी सदा, एक नव प्रयास करो तुम, सुनकर झंकार अपने हारें हुए कदमों की। Manisha Maru
जीवन की राहों में फूल कम और कांटो से मुलाकातें ज्यादा हुई। फूलों की सुंदरता और उसकी खुशबू , अक्सर ही रुकावट बन जाती हैं सफर मैं, लेकिन कांटों की चुभन से मैं हरपल मजबूत हुई।
जीवन की किताब का हर एक पन्ना colourfull हो यह तो मुमकिन ही नहीं....। लेकिन जब आजाए हमें दर्द में मुस्कुराना... तो फिर black n white पन्नों का भी हमारे जीवन में कुछ फर्क पड़ता नहीं।