मेरी धड़कन भी तेरे आने से अपनी ही राग सुनाए,
फिर मेरी शाम भी गुलजार सी शायराना हो जाये।
कुछ मुलाकात ही काफि है,
छु ले जो दिल को मेरे,
तेरी ज़ुबाँ से निकला मेरा नाम ही काफि है
उलझन
ना जाने, ये कैसा माहोल हैं,
बोहोत शांति हैं, मगर बोहोत शोर हैं
की अधीरता छाई हर ओर हैं,
और उत्तेजना से सब सराबोर हैं।।
क्या किसी ने मुझे आवाज़ दिया,
क्या मेरे जीने का साज़ दिया,
की उलझनों में हैं शाएरा,
कौन हैं वो, जिसने प्यार का आगाज़ दिया।।
कहा तो मैने बहुतों से था,
पर जब तुमसे कहीं मेरे मन की बाते,
तब पहली बार लगा की,
किसी ने मुझे सुना।।
कहा तो मैने बहुतों से था,
पर जब तुमसे कहीं मेरे मन की बाते,
तब पहली बार लगा की,
किसी ने मुझे सुना।।
कैसे कहुँ मै, क्या लिखूं,
सुकून दी है तुमने,
या तुम हो सुकूँ ।।
करूँ शुक्रिया उसका,
या करूँ उसकी इबादत,
कैसे कहे शाएरा,
की ये किसकी हैं आहट,
किसने मुझे पुरा किया,
या हैं ये कोई शरारत,
कैसे आये ज़िन्दगी में तुम,
मैने तो मन में करी थी चाहत।।
हाँ ये भी सच हैं,
की चिड़ियाँ चहक कर बातें तुमसे करते हैं
की बगानो के फूल भी तुमसे जलते हैं,
ये सुभा भी तुम्हारे लिए ही तो जगते हैं।
ये अंधकार के जग मग सितारे, तेरे याद मै चमकते हैं
कैसे कहे ये बात "शाएरा",
मै अगर सो भी रही हूँ तो,
मेरे सपने तक भी तेरा पीछा करते हैं।। ❤❤