मैं कौन हूँ ये पूछता है मेरा अक्स अक्सर मुझसे ! मेरा जवाब सिर्फ़ ये कि तेरी बिसात तो सिर्फ़ जिस्म तक है ए- साये, तू कायम है सिर्फ रौशनी में ! "मैं एक विचार हूँ , मेरा सफर है ज़हन की परतों में, फिर न धुप और ना अँधेरे ही मुझे मिटा सकते हैं" ! "सदियों तक घूमता रहा हूँ मैं, पन्नों दर पन्ने रंगे जाते... Read more
मैं कौन हूँ ये पूछता है मेरा अक्स अक्सर मुझसे ! मेरा जवाब सिर्फ़ ये कि तेरी बिसात तो सिर्फ़ जिस्म तक है ए- साये, तू कायम है सिर्फ रौशनी में ! "मैं एक विचार हूँ , मेरा सफर है ज़हन की परतों में, फिर न धुप और ना अँधेरे ही मुझे मिटा सकते हैं" ! "सदियों तक घूमता रहा हूँ मैं, पन्नों दर पन्ने रंगे जाते हैं मुझसे" !
"बस यही हूँ मैं और मेरी ख़्वाहिश है यही कि दर हो तेरा , दिल भी तेरा और मैं भी तेरा हमेशा - हमेशा " https://youtu.be/ZrJ4fuiFnkw
--- रंधीर रहबर Read less