kamal Bohara
Literary Captain
12
പോസ്റ്റ്സ്
9
ഫോളോവെർസ്
0
ഫോളോവിങ്

I'm kamal and I love to read StoryMirror contents.

കൂട്ടുകാരുമായി പങ്കുവെക്കുക

वो जो बातें शिकायतें अंदर ही कब्र में दफन हो गई, वो अब चीखती चिल्लाती अंदर ही कहीं गुम हो गई।

ये संगीत उसकी बातों का, ये नज़्म उसकी आंखों का, वो उड़ते जुल्फ, वो दौड़ती धड़कन, कुछ और दिन इन्तजार सही, वो शर्म-ओ- हया और वो मुस्कान का।। #kamal

दुनिया की इस भीड़ में कौन किस से बेहतर की दौड़ में न जाने हमने खुद को खुद से कितनी दूर कर दिया है।

कुछ लोग मिलने से पहले अजनबी रहते हैं, और कुछ मिल कर अजनबी हो जाते हैं।। खैर! ये सब वक्त वक्त की बात है, कहां पंख उग आए परिंदे इक जगह रह पाते हैं।।

ख़्वाबीदा सा ये जहाँ सारा, बदस्तू चलता ही रहा काफिला, मुसलसल चलती रही ये आंधी, मैं मुख्तसर डटा रहा, वो इक आशा का दिया लिए सारा।


ഫീഡ്

ലൈബ്രറി

എഴുതുക

അറിയിപ്പ്
പ്രൊഫൈൽ