Arjun Sahu
Literary Captain
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

65
Posts
1
Followers
0
Following

କେବେ ବି ନିଜକୁ ଅନ୍ୟ ସହ ତୁଳନା କରନ୍ତୁ ନାହିଁ, କାରଣ ବାହାର ଦୁନିଆରେ ଯାହା ଦେଖାଯାଉଛି ତାହା ଜୀବନ ନୁହେଁ। ନିଜ ପରିସ୍ଥିତି ଅନୁଯାୟୀ ବଞ୍ଚିବାକୁ ଜୀବନ କୁହାଯାଏ।

Share with friends

मैं जब भी शहर से दूर होता हूँ खुद के पास होता हूँ अर्जुन साहु

पहाड़ों पर ज़िन्दगी धीमी है, लेकिन है अर्जुन साहु

मैं जब भी शहर से दूर होता हूँ खुद के पास होता हूँ अर्जुन साहु

सवाल ये नहीं कि दोस्ती कैसे बचेगी सवाल ये कि बची तो कैसे निभेगी अर्जुन साहु

कौन पसंद करता है अंधेरों को ज़माने में पर रोशनी मिली तो आंखों में भी चुभेगी अर्जुन साहु

बचपन से आज तक क़ायम है चाँद से मेरा रिश्ता पुकारता हूँ आज भी मैं उसे चंदा 'मामा' क्योंकि छिपाये ही नहीं चाँद ने कभी हर रिश्ते की तरह अपने दाग़ अर्जुन साहु

कोशिश ही नहीं की कभी ना तो चाँद ने ना सूरज ने और ना ही हम दोनों में से किसी ने भी जानने की क्या होती है खुशी छोटा बनकर संग रहने में तारों की तरह अर्जुन साहु

मुंह फर चल देता है तभी एक को देखकर दूसरा अर्जुन साहु

हम दोनों ही बदल लेते थे अपना रास्ता देखकर एक-दूसरे को अहंकार कम नहीं है सूरज और चाँद में भी रोशन करते हैं दोनों सारी धरा को दोनों मानते हैं खुद को एक-दूसरे से बड़ा अर्जुन साहु


Feed

Library

Write

Notification
Profile