अपने इस बेगानी सी दुनिया में कई अपने मिले। इस बेगानी सी दुनिया में कई अपने मिले, पर अफसोस मुश्किल हालातोँ में उनकी परछाई भी ना मिली।
दामन आज जिस दामन पे वो उँगलियाँ उठाते है। आज जिस दामन पे वो उँगलियाँ उठाते है, भूल गए शायद कि उसी दामन के नीचे उन्हें सुकून आता था।