शख्सियत को मिट्टी के
बर्तन की तरह संजोना पड़ता है।
वरना ठोकरें तो वह भी मारते हैं,
जिनका खुद का वजूद जर्जर हुआ है।
©️ sanjita Pandey
यह रात घनेरी
चाँद की तनहाई
मुझे बड़ा तड़पा रही है
तेरे हाथों के चाय की
और बातों की
महक मुझे बहुत
याद आ रही है।
Sanjita Pandey