Renu kumari
Literary Colonel
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रेणु इन्फोसिस लिमिटेड में टेक्नोलॉजी एनालिस्ट के रूप में काम करती है| वह एक डेवलपर होने के साथ-साथ प्रशिक्षित नर्तकी और स्केच कलाकार भी हैं | उन्होंने पिछले कुछ वर्ष कविता पढ़ने और लिखने में बिताए है | उनकी अधिकांश कविताएँ वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित हैं| वह शायरी/कविता प्रतियोगिताओं और... Read more

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चेहरे पे मुखोटे तो हज़ार है हमारे, और कम्बख़त लोगों को लगता है कि वो हमें जानते है।

कुछ तो जाना पहचाना सा है इन सुरज की पहली किरणों में, ये किरणे तेरे न होने जा एहसास दिला रही हैं।

वो बाँसुरी बजाता है और में उस धुन की दीवानी हु। वो जग को बाँसुरी सुनाता है में उस भीड़ में खड़ी सुनती हु। तारीफ तो सब करते हौ उसकी में उस तारीफ के पीछे की मुस्कान बनती हु। कास में बता पाती उसे की मोहन की बाँसुरी सुन कर में रोज़ उसकी राधा बनती हु ।

जैसे में अपने जज़बातों को इन पन्नो में लिखती हु, खास तुझे भी में इस तरह अपनी किस्मत में लिख पाती। अपनी इस अधुरी सी ज़िन्दगी को पुरी करने के लिए, कास में तुझे अपनी मोहब्बत समझा पाती।

एक शिक्षक उस जलते हुए दिए कि समान होता हैं , जो खुद अंधेरे में रह कर सबको राह दिखता है ।

कुछ तो जाना पहचाना है इस बारिश में, ये तेरे मेरे पास होने का एहसास दिला रही हैं।

वक़्त गुज़र गया उसका इंतेज़ार करते करते पर वो लम्हा अभी भी वही तेहरा है जहां वो छोड़ के गया था

Don't let your problems overpower your courage. Let your problems know how big your courage is to conquer them #IforIndia

मत कर मुझे याद अब कोई गिला नही तुझसे, बहुत जलाया है तूने मुझे उस विरहा की आग में । मत कर ये भूल की अब भी मोहब्बत है तुझसे, अक्सर परिंदे जल जाते है एक अकेले दिए कि लौ में ।


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