I'm Swapnil Ranjan and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsअपने होने का एहसास दे जाना पुकारा बहुत तुम्हें हर दिन कभी तो यादों का नाज़राना दे जाना - स्वप्निल " स्वप्न "
माँ के चरणों में जन्नत होती है हर किसी को जो नसीब नहीं होती है बिन माँ के कैसा बचपन उम्र वो सिर्फ यूँ ही कटी होती है माँ ने सजाई बचपन की बगिया हर दुख की घड़ी माँ से डरी होती है आँचल की छाव ने ठंडक पहुँचाई दुनिया में अनुभव की धूप जब तेज़ होती है यूँ ही मेरे जीवन को पूरा करती रहना माँ के आशीष से हर कमी दूर होती है