इस दिल की स्याही ने हौंसला लिखना तब शुरू किया, जब माँ ने कहा, 'लेखन तेरा प्रेम है, लिखना कभी मत छोड़ना।'
माँ के दर्पण में झाँकते ही सारा स्वर्ग दिख गया, दुनिया की जटिल बेड़ियों से माँ ने ही तो आज़ाद कराया है। माँ का प्रेम सर्वोच्च प्रेम है, न उसमें दुनिया का छल है, न ही आडंबर, केवल प्रेम और समर्पण है।