amar singh
Literary Captain
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I like Meditation and Spiritual Subjects.

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और आपके बारे में क्या सोचते हैं इतना महत्वपूर्ण नहीं है, आप अपने बारे में क्या सोचते हो, अधिक महत्वपूर्ण है। -अमर सिंह

कभी कोलाहल है तो. कभी संगीत ही जिन्दगी, अन्जान राहों की रेत में लिपटी, मीठे जल की झील है जिन्दगी... -अमर सिंह

मौन ही जीवन का आरम्भ है और अन्त भी...

नारी इदय अत्यन्त जटिल नहीं। वह जंगल के उस पुष्प की भांति है, जो अपने आंतरिक सौन्दर्य से स्वयं अंजान है। जिसे कभी न कभी समझा जा सका, उसकी दिल की गहराईयों में उस अकेले पुष्प की मात्र सुगन्ध है। जिस आयाम तक पहुंचना ही नारी हदय की चाह भर है।

नारी शक्ति है, प्रेम है, सौन्दर्य है, दया है, वात्सल्य है, ममता है, माँ है, सृष्टि है, जननी है। नारी है जीवन का मूल स्त्रोत है।

इस उड़ान को रोको मत - टोको मत - आसमान तक उड़ने दो। बेटी बचाओ।

अज़ान निकलती है दिल से बिना किसी आवाज, जो सुन लेता है वो खुदा, जो कभी अजान है तो कभी सांस मेरी....

प्रेम वह सुगंध है जो फूल की खुशबू से भी तृप्त है। वासना वह भूख है जो फूल को आहार बनाकर भी सदैव अतृप्त है। -Amar

रूप से बढ़कर बुद्धि है, बुद्धि से बढ़कर भाव। भाव से बढ़कर मौन है, मौन से बढ़कर आत्मा। आत्मा ही ईश्वर का मूल तत्व है। - Amar


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