बादलों की ग़रज़ से डरना बेमानी हैं
मत भूल, ख़ुद ही लिखी है जो तेरी कहानी हैं
जलवों से तेरे जलेगी ये दुनिया
हर औरत में ज़िंदा एक झांसी की रानी हैं
सुधी सिद्धार्थ
हर रंग हिम्मत का तुझे बादल में भरना हैं
तू दरिया हैं मोहब्बत का तेरा मक़सद तो बहना हैं
सारे जहां में हर शख़्स अपने हाथों में रखेगा
तुझे अपनी कलम से एक नया इतिहास लिखना हैं
सुधी सिद्धार्थ