writer and poet
Share with friendsजब बारिश तेज होती है याद तेरी आती है बंद कमरे में हम दोनों और दूर कहीं बजता वो गीत बरखा रानी जरा जम के बरसो मेरा दिलबर जा ना पाए झूम कर बरसो अब आंखे बरस जाती है
इस जमाने में जहां वक्त के साथ साथ ख्यालात भी बदल जाते हैं तुम तो शायद सोच भी नहीं पाते होगे कि कितनी शिद्दत से तुम्हे कोई चाहता है तुम्हारी यादों के सामने कितने बेबस और मजबूर हो जाते हैं हम एक याद तुम्हारी हमारी जान लेने के लिए काफी है सनम