Ravindra Shrivastava Deepak
Literary Colonel
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I am very passionate to write Sher, Sayri, Poems, Story etc. I love writing. क्या मैं लिखूं खुद के बारे में... एक खुली किताब हुँ मैं, जो भी चाहे पढ़ ले मुझको, लहरों में चलता, गतिशील ब्रह्मांड हुँ मैं, वक़्त दरिया का वो किनारा हुँ मैं, दिल से दूसरों का सहारा हुँ मैं, सुबह की किरणों की तरह कोमल... Read more

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चराग़ों को कह दो यूँ इतरा न करे अपनें रौशनी पर, कभी अंधरे में आकर देखो मेरे महबूब को, खुद की रौशनी न भूल गए फिर कहना.

जो बात दिल से निकले वो दुआ होती है, बिन कहे सारे दुःख समझ ले, वो "माँ" होती है.

माना कि कमीं है मुझमें, पर कमजोर नही हूँ, गर्दिश में हैं सितारे अभी, पर मजबूर नही हूँ, कुछ पल ठहर तो जाओ, वाकिफ नही हो मुझसे, हारता हूँ अपनें क़ज़ा से, पर हमेशा ये दस्तूर नही है... *क़ज़ा - भाग्य

लफ़्ज़ों में हमें समेटना इतना आसान नही जनाब, हम तो वो सागर है जो नदियों को डुबो लेते है...


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