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साँसों की यह लड़ी घट रही घड़ी घड़ी दूर कोलाहल में कहाँ पड़ी हर पल कल कल बहती हर कड़ी साँसों की यह लड़ी घट रही घड़ी घड़ी दूर कोलाहल में कहाँ पड़ी हर पल कल कल बहती हर कड़ी