प्रेम लिख भर देना प्रेम नहीं होता...
प्रेम न लिख पाने की बेबसी भी प्रेम ही है।।
और अब क्या है मेरे पास तुम्हें देने के लिए..
ये मेरी आँखों के ख्वाब भी अब तुम्हीं रख लो..
जो है नहीं उसका दिखावा भी क्यूँ किया जाय..
चलो ये प्यार का तमाशा अब बस किया जाय..
आंसू या मुस्कान.... चुनाव आपका है
जो और जितना आप दूसरों को बाटेंगे वो और उतना ही आपको भी स्वीकार करना होगा