मुझे लिखना और दोस्त बनाना अच्छा लगता है ।
Share with friendsक्या तुलना उस मां की सुरज- चांद - सितारों से गंगा से ,जमुना से या नदियां हज़ारों से मां की ममता का कोई मोल नहीं,इस जैसा कोई और नहीं। देती जन्म, शिक्षा, संस्कार, इन्सानियत का पाठ पढ़ाती मां । जीवन पथ पर आगे बढ़ना सीखाती मां , मेरी ताकत, मेरा साहस , मेरी मां । प्रेम बजाज
दर्द को ढालते हैं नग़मों में और सोज़ को साज़ में बदलते हैं। दाद दे हमको ए ग़मे-दूनियाँ, ज़ख्म खा कर भी फूल उगलते हैं ।
मेरे प्यार की नाकामी ने मुझे इस मोड़ पे ला के छोड़ दिया , देखा था जिसमे अक्स अपना ,वो दर्पण ही तोड़ दिया ।