सुनीता मिश्रा
जिन्दगी हमसे है
हर पल का स्वागत करे
सुनीता मिश्रा
जिक्र तेरा जब होता है
फिक्र मुझे यूँ होती है
दाग लगे न उस चादर पर
तूने जो ओढ़ी है।।
मेरी कल्पनाएँ,बादल बन
उड़ती है आसमान मे
तुम छू सको उन्हे
तो छू लो।
सुनीता मिश्रा
सुनीता मिश्रा
जिक्र तेरा जब होता है
फिक्र मुझे ये होती होती है
दाग लगे न उस चादर पर
जो तूने ओढ़ी है।
सुनीता मिश्रा
मै भाया उसको,वो भी मुझको भली लगी
बस एक यही बात ,दुनियाँ वालो को बुरी लगी।
सुनीता मिश्रा