तलब उठी खुशियों की ,
मैं उनके पीछे दौड़ा।
न की परवाह रिश्तों की,
उनको भी पीछे छोड़ा।
न खुशी मिली, न रिश्ते रहे,
इस तलब ने कहीं का न छोड़ा।
चाहूं मैं भी खेचर बन, सैर गगन की कर आऊं।
भू पैगाम दे नीरद को, नजराना खुशियों का ले आऊं।।
चाहूं मैं भी खेचर बन, सैर गगन की कर आऊं।
भू पैगाम दे नीरद को, नजराना खुशियों का ले आऊं।।
इच्छाएं होती अंतहीन
कुछ करो पूर्ण कुछ होने दो विलीन।
स्वास्थ्य से होते सब चाव
ऊंचे धन दौलत से भाव
स्वास्थ्य बिन मनु अधूरा
कोई काम न होये पूरा।
नेक हो सोच हों बुलंद इरादे
कठिनाइयों को धूल चटा दें
मिलकर करें काम हम सब तो
आसमां को भी जमीं बना दें।
Just as rust destroys iron, similarly anger destroys human good, so avoid anger.
Just as rust destroys iron, similarly anger destroys human good, so avoid anger.
Anger is our biggest enemy, he can never see us happy.