मुश्किलों में कदम जरूर डगमगाते है, संभलने वाले ही मंजिल तक पहुंच पाते है। पिंकी मुर्मू
कुछ अल्फाज अधूरे रह जाते है मशहूर होने के लिये, राहे कभी खो जाती है, अजनबी बन जाने के लिए।
जब भी इक ऋतु आती है
इक नया परिवर्तन लाती है
कभी अपनो से मिलाती है तो
कभी नकाबो को हटाती हैं ।
जिदंगी ने हमें वो आईना दिखा दिया
जिसमें हमारी शख्ससियत सामने आ गयी