दिल का एक कोना आज भी बचपन में जीता है ल,अल्हड़पन,संवेदनशील,प्यार,दास्ताँगोई, बस यही हूँ "मैं"
वो चीखती है मन ही मन सोचती है ''मैं बेटी क्यों नहीं ?'' वो चीखती है मन ही मन सोचती है ''मैं बेटी क्यों नहीं ?''