दिन ढ़ल जाता रोज यूँ ही
जिंदगी है अनमोल यूँ ही
कर्तव्य पथ अब निहार रहा है
मुझे प्यार से पुकार रहा है ।
(विनय अन्थवाल)
जीवन सुखमय कैसे होगा
दुर्जनों का ही राज है ।
सुख की आशा करता रहता
संतप्त होता आज है ।
(विनय अन्थवाल )
धरा के वीर सपूत तुम ही
खिले चैतन्य प्रसून तुम ही
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मां मेदिनी की गोद में सत्कर्म ही करते रहें हम
आओ मिलें मिलकर रहें अब पुण्यकर्म करते रहें हम।
नारी शक्ति समर्पण का ही नाम है इसलिए नारी जी
वन महान है ।
नारी शक्ति समर्पण का ही नाम है इसलिए नारी जीवन महान है ।
नारी समर्पण का ही नाम है इसलिए नारी जीवन महान है।
नारी समर्पण का ही नाम है इसलिए नारी जीवन महान है।
नारी समर्पण का ही नाम है इसलिए नारी जीवन महान है।