Preshit Gajbhiye
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ना ही मैं शायरों जैसा सुना सकता , ना ही शायरों जैसा मेरा लिबास है .. कोशिश रहती है बस तुम्हारा दिल बहला सकूं , इसे अखबार मत समझना मेरी ज़िंदगी की क़िताब है .. 🙏

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अक्सर रात में वही लोग जागते हैं जिनकी ख्वाहिशें अधूरी होती है और उन्हें पूरा करने का उनके पास कोई रास्ता भी नहीं होता

सुबह बिस्तर की सिलवटें बताती है , के रात भर कितनी बेचैनी से सोया हूं मैं ...

जिसका जहां तक मतलब बन सका उसने हमें वहां तक साथ रखा , और फिर रख दिया तो ऐसे रख दिया , जैसे एक दिन का चूल्हा जलाने के लिए किसी ने ज़रूरत से ज्यादा लकड़ियां कांट ली हो ..

मुझ से मीठी मीठी बातें कर के, मेरे खिलाफ़ उनके कान भरते हो .. ज़रा भी मुरव्वत मेहसूस नहीं होता है ना तुम्हे , जो इधर की बातें उधर करते हो ..


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