एक रहम कर ए-ख़ुदा मुझ पर,
मुझे तालीम-ए-किरदार अता कर दे...
बेघर परिंदा हूं मैं अपने कदमों में घर अता कर दे,
अपना एक कतरा तू मुझ में शामिल कर ए ख़ुदा...
कब्र को अपनी रोशन करूं ऐसी जिंदगी अता कर दे।
हज़ारों बुराई गिनवा दी उन्होंने किरदार में हमारे...
शायद वो नाचीज़ खुद को फरिश्ता समझ बैठे हैं...
-pankhuri gupta