Pankhuri Gupta
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कलम बनी है जरिया बातें हैं दिल की राज़ बताने सारे शायरा बनी ये लड़की

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एक रहम कर ए-ख़ुदा मुझ पर, मुझे तालीम-ए-किरदार अता कर दे... बेघर परिंदा हूं मैं अपने कदमों में घर अता कर दे, अपना एक कतरा तू मुझ में शामिल कर ए ख़ुदा... कब्र को अपनी रोशन करूं ऐसी जिंदगी अता कर दे।

हज़ारों बुराई गिनवा दी उन्होंने किरदार में हमारे... शायद वो नाचीज़ खुद को फरिश्ता समझ बैठे हैं... -pankhuri gupta


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