pawan punyanand
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अपने बारे में कुछ लिखना है,वैसे क्या लिखूँ साधारण आदमी हूँ ,शिक्षक हूँ,जब भावावेग उठता है तो कुछ लिख लेता हूँ,बहुत ज्यादा मुझे आता नही लिखने की भी कला मुझे आती नही बस लिखता हूँ क्योंकि मुझे अच्छा लगता है अपनी भावनाओं को लिखना घट रही घटनाओं पे लिखनाअपने आप लिखा चला जाता है,।धन्यवाद।

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ना मिले वो तुम्हें, तो मत तड़पो दिन रात। कुछ ऐसा करो तुम , मिलो अगर ना तुम उसको, वो तड़पे दिन रात । पवन पुण्यानन्द

फिर से काश मैं सच्चा हो जाऊँ, मन करता है बच्चा हो जाऊँ। कभी हंसू कभी रोऊँ, कभी रूठूँ कभी दौड़ लगाऊँ, माँ के आँचल में छिप कर, सारी खुशियाँ पाऊँ, मन करता है फिर , बच्चा हो जाऊँ।


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