Gautam Sagar
Literary Colonel
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हर दिन मज़ेदार-सी शुरुआत कीजिये हर दिन ज़िंदगी को सुप्रभात कीजिये

बुरे लोगों से कैसे निपटा जाए छोड़ो वक़्त पर, वो देख लेगा

हिन्दी को तुकबंदी के लिए कविगण भारत की बिंदी बताते हैं। हिन्दी को बिंदी कहना बंद करें भारत माँ के देह पर मांग टीका से लेकर करधनी तक कंठहार से लेकर बेशकीमती रत्नजड़ित कंगन तक है ... बिंदी की कीमत रुपये दो रुपये लेकिन कंगन कंठहार का मूल्य अमूल्य है सो हिन्दी बिंदी होगी कवियों के लिए हमारे लिए हिन्दी भारत के देह का स्वर्ण -आभूषण है हमारे लिए हिन्दी मणि जड़ित कंगन है। @ गौतम

'कोई इत्र नहीं, कोई चंदन , मोगरे की उबटन भी नहीं फिर भी बेशुमार गुंचों की महक है तुममें' उसने कहा-' बदन तो मिट्टी का खिलौना है साहब असली खुशबू तो उसकी खुशबू है जो रहता है गुलाब सा हमारी रूह में.' ..........रचनाकार@@@गौतम

मैं गाता रहा तुम खुश होती रही मैं खुश होता रहा और भी गाता रहा लेकिन मेरी हसरतों पर बिजलियाँ गिरी जब तुमने कानों से एयरफोन निकाला और पूछा , " कुछ कह रहे थे क्या " #जीकेएस

उनको लगी खबर कि ग्राहक नहीं हूँ मैं दुकान में गया तो चेहरा घुमा लिया #जीकेएस

अब कोई भी जैसा है वैसा नहीं दिखता है सबके हाथों में मोबाइल आ गया

जब गाँव में था तो शहर आना चाहता था गाँव ने शहर जाने दिया था अब शहर में हूँ तो गाँव जाना चाहता हूँ शहर ने बंदी बना लिया है गाँव जमानत देकर छुड़ा ले जाना चाहता है लेकिन शहर की काली हवा देखकर लौट जाता है #जीकेएस

घेरे है ....कई हसीना पर... एक नहीं अपनी गोलगप्पे वाले भैया सी है ...... जिंदगी अपनी #जीकेएस


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