एक गुलाब तेरे सजदे में क्या झुकाऊं, इश्क हमारा ऐसा है कि सजदे में तेरे लिए दुआएं आती हैं।
सौम्या ज्योत्स्ना
ये दूनिया यूं ही नहीं अच्छी लगती, यहां तुम बसती हो इसलिए अच्छी लगती है।
सौम्या ज्योत्स्ना
यादों के कैनवास पर एहसासों के रंग चढ़ते गए और तुम्हारा चेहरा बनता गया।
सौम्या ज्योत्स्ना
आहिस्ता आहिस्ता चल रही थी ज़िंदगी कि उसके आने से वक़्त ही थम गया है. अहसास का नज़्म कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे- रूह तक वो बस गया है.