कभी नकली सिक्कों को गिनते थें, कभी लोग अनगिनत तानें देते थें, वो बदकिस्मती ही था साहब! सफलता मिलने पर भी सफल न कहे गए थें। -अलका कुमारी “भारती”
मेरी सांस तू है, मेरा आस तू है। मेरी उम्मीद मेरे सपने तू है, मेरे कामयाबी मेरी मंजिल तू है। मां तू ही है, मम्मी तू ही है। मेरे सपनों की उम्मीद तू है, मेरे सपनों की मंजिल तू है। मेरी कामयाबी के पीछे तू है, मेरी खुशी तू है मेरे चेहरे की मुस्कान तू है। खुद से पहले मुझे खिलाती खुद भूखी रह जाती है, तेरे चरणों में मुझे स्वर्ग मिले। तेरे चेहरे से मेरी सुबह हुई, हर सुबह सूरज से पहलेमां काचेहरा देखीहूं।
रास्ता कितना भी जर्जर क्यों न हो, चलना मुझे आता है। मुसीबत कितना भी बड़ा क्यों न हो, हराना मुझे आता है। -अलका कुमारी
कुछ खुशियों कि बलि चढ़ा देंगे, कुछ आदतें भी सुधार लेंगे। मंजिल को पाकर रहेंगे, ख्वाहिशें को पुरे कर ही लेंगे। -अलका कुमारी