Soni Kedia
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दिल से लिखती हूं।

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जो न समझे बच्चों को, तो बाल मनोविज्ञान.. को क्या समझेंगे। जो समझ गए बच्चों को, उनको ज्ञान से क्या काम।।

जो न समझे बच्चों को, तो बाल मनोविज्ञान.. को क्या समझेंगे। जो समझ गए बच्चों को, उनको ज्ञान से क्या काम।।

जो न समझे बच्चों को, तो बाल मनोविज्ञान.. को क्या समझेंगे। जो समझ गए बच्चों को उनको ज्ञान से क्या काम।।

तुम प्रेम को कहते गए, हम प्रेम को लिखते गए। सोनी केडिया


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