जीवन की कहानी सिर्फ दिन और रात की बनाई दीवारों में मौजूद नहीं, जिसमें उसे समेट कर छोड़ दिया जाए, बल्कि उसकी कहानी 'रात और दिन' तथा 'दिन और रात' के बीच गुजर रहे समय में भी है।
Written & Narrated by PRADYUMNA AROTHIYA