मैं हर सन्नाटे को पिघलाकर उन्हें शब्दों में गढ़ना चाहती हूँ ताकि जो कभी कहा नहीं वो भी सुनाई दें।
कालिख से मेरी तू जो टिका करें तो… कालिख से मेरी तू जो टिका करें तो…