मैं हर सन्नाटे को पिघलाकर उन्हें शब्दों में गढ़ना चाहती हूँ ताकि जो कभी कहा नहीं वो भी सुनाई दें।
कभी-कभी लगता है तुम मेरी ज़िन्दगी मे आज भी एक साँझ की तरह हो। जिसमे मैं अस्त होते हुऐ देखती हूँ अपनी ... कभी-कभी लगता है तुम मेरी ज़िन्दगी मे आज भी एक साँझ की तरह हो। जिसमे मैं अस्त होते...