काश ख्वाबो के पीछे भी डोर होती
तो मेें उसे कस कर पकड़ लेता,
ओर मरने के बाद जरासी आख खुलती,
तो कईयों को रंगे हाथ पकड़ लेता।
-भरत संघार
નિહાળજો દુર થી જરા નજીક ન આવતા
તમે પણ રોઈ ને સાથે અમને ન રોવડાવતા
Lyricist Bharat
मालूम है जिंदगी तो बेवफा है
गम तो यह है कि आज तु भी खफा है
~lyricist bharat
आंखें मेरी लाल देखकर क्या सोचती हो
फिर से पी रखी है यही कहती हो..😏
lyricist bharat
जिंदगी दो हिस्सों में बट गई है
तसल्ली यह है कि फिर भी कट रही है
Lyricist bharat
मोहब्बत के लिए लोग हद से गुजर गए
और कुछ लोग तो मोहब्बत में ही गुजर गए
Bharat sanghar
ढूंढ रहा हूं बचपन का जमाना कहां खो गया है
ढूंढ रहा हूं खिलौनों का खजाना कहीं खो गया है
મળવાનું કોઇ બહાનુ નથી
એવું નથી કે તને મળવું નથીઃ
હું પોતાને વેચી દૈઈશ તુ, તારો
એકવાર હસવા નો ભાવ કહીં દે