मैंने पूछा खुदा से क्या हैं ऐसा कोई इस दुनिया में जो माँ की जगह ले सकता हैं उन्होंने कहा नहीं मूर्ख हम तो खुद धरती पर माँ का प्यार पाने के लिए अवतरित होते रहते हैं...
जिंदगी पर असर सारी उम्र निकल गई बालपन से पचपन तक मगर अब समझ आया कि जिंदगी का असली मजा जो है वो बचपने में ही है...
जिंदगी पर असर यादों की सफर का जिंदगी पर असर सुहाना सा लगता है एक चलचित्र की भांति रंगीन सा लगता है ठोकर से लगे चोट अब आत्मविश्वास सा लगता है...
पचपन तक का सफर लड़कपन के जोश को देखकर अब हँसी आती है कभी हम भी ऐसे ही थे जिद्दी, किसी की ना मानने वाले बस अपने मन की करनी अब ख्याल आता है माँ-बाबा की बातों का उनकी दी गई सीख का जैसे हम अब समझ गए वैसे वक्त आने पर ये भी समझ जाएँगे...