अमित सिंह
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इस बैरी चाँद पे जाने क्या रखा हैं ! तेरी परछाई रखी है ! या तेरा बूत रखा है ! पूछने जो गया उस महफ़िल में, मालूम हुआ, वहाँ कुछ और नहीं एक खत और तेरा ताबूत रखा हैं !


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