क्रोधित हूँ, आवेशित हूँ,
असहिष्णु तक घोषित हूँ..!
क्यों अब भी मैं चुप रहूँ,
जब सभी दिशा से शोषित हूँ..?
सुमित सिन्हा!
नैन नजारे दिखलाते जो, उसको झूठा मानो!
गहराई को गहराई में गहराई से जानो..!
बातें बतंगड़ बनते अब तो लगती नहीं है देर!
करता उजियारा चहुँओर दिया,
दिया तले अंधेर..!
सुमित सिन्हा