काफ़िर कोरी किताब है... जिसे लिखना अभी बाकी है...!!
Share with friendsसुनों! वक़्त बे - वक़्त ना आया करो , ख़यालों में आकर ना सताया करो। उछल कर आ जाता है कलेजा मुँह में, हमें 'ए जी' कहकर ना बुलाया करो।। #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर
सुनों! गुस्ताख़ 'निगाहें' अक्सर गुस्ताखि़याँ कर ही जाते हैं... नैनों से नैन जब लड़ते हैं 'लब' ख़ुद-ब-ख़ुद मुस्कुराते हैं! #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर
भरी महफ़िल में इश़्क को, रुसवा नहीं करते, उसे परदे में रखते हैं, बे - परदा नहीं करते। #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर ११.११.२०२०
सुनो! ये जो नुपुरों की छनछनाहट सी तुम्हारी हँसी है ना, कमबख़्त! धड़कनों को बढ़ा देती है... ऐसे ही हँसती रहा करो, अच्छी लगती हो। #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर 🙏🏻
सुनो! ये जो आँखों पे आपका पहरा है, ये कब हटेगा? दुनिया-जहान भी देखना है, या सिर्फ़ आपको ही निहारता रहूँ? #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर 🙏🏻
सुनो! ये जो 'धत्' कहकर शर्माते हुये रुकसार को जो तुम लाल कर लेती हो ना... कसम से...पूनम के चाँद सी लगने लगती हाे। #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर 🙏🏻
सुनो! तुम खामोश रहकर भी सबकुछ कह गये... और हम अनसुना करके भी सब समझ गये। मर्यादा भी नहीं टूटी और बातचीत भी हो गई। #रूपेश_श्रीवास्तव_काफ़िर