उठ खड़ा हो और लगा ले हौसलों के पर।
ठान ले जीना तुझे अब, ऊंचा उठा के सर।।
कई बार दिल से जुड़ जाते हैं कुछ लोग
भले ही अनजान हों
कुछ रिश्ते अनकहे होते हैं
ज़रूरी नहीं सबके नाम हों
खो जाने का डर किसे है
अनजान सफर सही
मगर है तो ज़िन्दगी।
देखा है अक्सर रिश्तों में
सोच का फर्क
पैसों का फर्क
समय का फर्क
पसंद का फर्क
और यही फर्क रिश्तों की पोटली की एक एक गाठ को
खोलता चला जाता है।