Writer,singer,podcaster,oil painting artist
मन्नत के धागे वृक्षों पर कई बार बांधे, मन्नत पूरी हुई या नहीं याद नहीं.. गए थे अधूरे आधे.. लेकिन लौटे सकारात्मकता लिए, मन को साधे। निमिषा सिंघल