इश्क़ की ख्वाहिश मे तुमसे एक उम्र लगा बैठी
मैं वही शख्स थी साहब बस मुस्कान गंवा बैठी
-चकोरी शुक्ला
वजह सिर्फ़ कौम थी
पाक सिर्फ़ मोहब्बत.....
- चकोरी शुक्ला
हसरतें दूर छोड़कर इश्क़ के जन्जाल से
कर ली मोहब्बत हमने बस उनके इंतज़ार से
दाग भी मिला हमें दर्द का सिला भी था
सँवरते रहे फिर भी हम "ना"कहने के अन्दाज़ से
फराज़ की हदों को आज तू भी पार कर
समय की चिट्ठियाँ जो हैं उन्हें तू फाड़कर
नयी नयी उड़ान नये कारवान पर
निकल जा तू ज़माने को दरकिनार कर