Ambika Mishra Prakhar
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देख ये सिकन्दर अब भी वही है | इश्क़ का समन्दर अब भी वही है| तू अपना बदल बैठी है यहीं कहीं, देख ये मेरा नम्बर अब भी वही है| अम्बिका मिश्र'प्रखर'

हमें लगा था कि तुम कुछ अलग कहोगे जमाने से हट के तुम कुछ अलग रहोगे

क्या चलते चलते कोई फिर से मोडा़ गया | ख्वाब का घरौंदा कोई फिर से तोडा़ गया | आज शाम से कान में पीर फिर घुलती रही, क्या कहीं प्यार में कोई फिर से छोडा गया | अम्बिका मिश्र प्रखर

क्या चलते चलते कोई फिर से मोडा़ गया | ख्वाब का घरौंदा कोई फिर से तोडा़ गया | आज शाम से कान में पीर फिर घुलती रही, क्या कहीं प्यार में कोई फिर से छोडा गया | अम्बिका मिश्र प्रखर

क्या चलते चलते कोई फिर से मोडा़ गया | ख्वाब का घरौंदा कोई फिर से तोडा़ गया | आज शाम से कान में पीर फिर घुलती रही, क्या कहीं प्यार में कोई फिर से छोडा गया | अम्बिका मिश्र'प्रखर'

अब जाना कैसे लुट गई है दिल की जागीर मेरी | मेरे सीने नें खुद ही पेवस्त कर ली शमशीर तेरी | तुझे अपने दर्द का एहसास भला होगा भी क्यूं , वर्षों पहले रब से मांग ली थी मैंने हर पीर तेरी | अम्बिका मिश्र'प्रखर' चित्रकूट(उ.प्र.)


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