मै राघव दुबे 'रघु' कलम का पुजारी हूँ और आखरी स्वास तक साहित्य की आराधना कर ता रहूँगा l
मोहब्बत की वादियों में आकर तो देखो... यहाँ की बर्बादियां भी कितनी हसीं दिखती है ll