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Share with friendsशब्द शब्द के मेल से , होगई रेल तेयार , सम्यक दर्शन ज्ञान चारित्र ये ही मोक्षद्वार ॥ शब्द शब्दका मोल है , सोच समझ कर तौल , एक एक शब्द है तेरा बहुत अनमोल
हम है राही प्यार के हम है राही प्यार के हम है राही प्यार के प्यार की राह पर चलते है नहीं किसी से लड़ते है नहीं किसी से डरते है देश के लिये जीते है हम देश के लिये मरते है प्यार सभी से करते है प्यार ही मजहब प्यार खुदा है यही गीत सदा हम गाते है
शब्दों का मंथन करो , और करो प्यार , शब्दों में ही छिपा , जीवन का आधार ॥ शब्दों की माला गूथो , भरपूर भर दो प्यार , नित प्रभु दर जाइये , बेड़ा होगा पार ॥ निर्दोष लक्ष्य जैन
शब्दों का मंथन करो , और करो प्यार , शब्दों में ही छिपा , जीवन का आधार ॥ शब्दों की माला गूथो , भरपूर भर दो प्यार , नित प्रभु दर जाइये , बेड़ा होगा पार ॥ निर्दोष लक्ष्य जैन
खुशी का अहसास ....लघु कथा सक्सेना साहब की गाड़ी एक छोटी सी चाय की दुकान के सामने रुकी, दुकान से लगभग दस साल की लड़की आई, बोली अंकल चाय बनाऊं, मैं अच्छी चाय बनाती हूँ। हाँ तीन चाय बनाओ, गाड़ी से सक्सेना साहब उनकी पत्नी ओर एक लगभग दस वर्ष की लड़की उतर कर दुकान के सामने बिछी चारपाई पर बैठ गए । सक्सेना साहब बड़े ध्यान से लड़की को देख रहे थे, बोले ये दुकान तुम्हारी है, नही अंकल