बचपन से लेकर आज तक सब खोया ही खोया है , एक तू भी न मिले तो शिकायत तो होगी ही । राहगीर की कलम से..... (ब्रिजेश प्रजापति).......
बचपन से लेकर आज तक सब खोया ही खोया है , एक तू भी न मिले तो शिकायत तो होगी ही । राहगीर की कलम से..... (ब्रिजेश प्रजापति).......
लोग बस देखते है कमियां मेरी , मुझे समझ सके ऐसा कोई मेरे पास नहीं , जिंदगी से फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं , फिर भी एक आस है की कोई हो ऐसा जो समझ सके ये उदासियां मेरी , लोग बस देखते है कमियां मेरी , मुझे समझ सके ऐसा कोई मेरे आसपास नहीं .......। राहगीर की कलम से...... (ब्रिजेश प्रजापति)...
बचपन से लेकर आज तक सब खोया ही खोया है , एक तू भी न मिले तो शिकायत तो होगी ही । राहगीर की कलम से..... (ब्रिजेश प्रजापति).......
लोग बस देखते है कमियां मेरी , मुझे समझ सके ऐसा कोई मेरे पास नहीं , जिंदगी से फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं , फिर भी एक आस है की कोई हो ऐसा जो समझ सके ये उदासियां मेरी , लोग बस देखते है कमियां मेरी , मुझे समझ सके ऐसा कोई मेरे आसपास नहीं .......। राहगीर की कलम से...... (ब्रिजेश प्रजापति)...
मैने अपनी जिंदगी में खुद का एक परिवार बना रखा है .... जिसमे मेरी कोई अहमियत नहीं है ...... लेकिन मेरे लिए वह परिवार की अहमियत ज्यादा है । ब्रिजेश प्रजापति राहगीर की कलम से...
અમસ્તો જ તું ચિંતા ને ચિંતામાં ડૂબેલો રહે છે રાહગીર , ભૂતકાળ તો શું વાગોળવાનો વિષય છે ?...... રાહગીરની કલમે થી..... બ્રિજેશ પ્રજાપતિ.......
तुमने छुआ है मेरे दिल की गहराइयों को इस तरह , जैसे मिल गया है मुझे कोई मेरी तरह । राहगीर कि कलम से...... (ब्रिजेश प्रजापति).......