साहित्य की सेवा ही मेरी लेखनी का उद्देश्य है।
तू मोहब्बत खुदा से कर, जमाने से कर,खुद से कर.. पर अपनी चाहतों को दरकिनार कर। पी.यादव 'ओज' झारसुगुड़ा। (ओडिशा)
जन्म की सार्थकता तब है, जब हम श्रेष्ठ कर्म करते हुए जीवन और जगत को श्रेष्ठता प्रदान करें। पी.यादव 'ओज' (ओडिशा)
💥 प्रश्न और तर्क की सत्ता- मोह से बाहर आओ, प्रेम और शांति का अनुभव करोगे।💥 - pY SAIPEARL
किताबों के वजन से इंसानियत पैद