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यह उत्कृष्ट रचना मुंशी प्रेमचंद जी की है यह उत्कृष्ट रचना मुंशी प्रेमचंद जी की है
ये उत्कृष्ट रचना मुंशी प्रेमचंद्र जी की हैं ये उत्कृष्ट रचना मुंशी प्रेमचंद्र जी की हैं
पर्वत मालाओं की श्याम रेखा ऐसी मालूम हो रही थी मानो कमल-दल मुरझा गया हो पर्वत मालाओं की श्याम रेखा ऐसी मालूम हो रही थी मानो कमल-दल मुरझा गया हो
जरा भी खड़खड़ाहट होती, उसका जी सन्न हो जाता क़हीं कोई ऊख में छिपा न बैठा हो जरा भी खड़खड़ाहट होती, उसका जी सन्न हो जाता क़हीं कोई ऊख में छिपा न बैठा हो
इस तरह दो-तीन दिन बीत गए। रुद्र का अन्ना की रट लगाने और रोने के सिवा और कोई काम न था। इस तरह दो-तीन दिन बीत गए। रुद्र का अन्ना की रट लगाने और रोने के सिवा और कोई काम...
आपस में सलाह करके मर्यादा की रक्षा का कोई उपाया सोचने की मुहलत न थी आपस में सलाह करके मर्यादा की रक्षा का कोई उपाया सोचने की मुहलत न थी
यहॉँ तो भगत की चारों ओर तलाश होने लगी, और भगत लपका हुआ घर चला जा रहा था कि बुढ़िया के उठने से पहले प... यहॉँ तो भगत की चारों ओर तलाश होने लगी, और भगत लपका हुआ घर चला जा रहा था कि बुढ़ि...