ऐ मेरे "भारत देश" तुझपर मैं क्या लिखूं
हर शब्द ही कम है जो तुझे पूरा बयाँ कर सके,
अपने इस दिल में तुझको बसाकर
सिर्फ इतना ही कह सकती हूँ कि.....
'तेरे सज़दे में ही सिर्फ इस सर को झुकाया है,
इस क़दर है तुझसे इश्क़ कि हर इबादत में उस खुदा को पता है।"
रख गीता- क़ुरान को एकसाथ
फिर इंसानियत की इबादत करूँ,
नफ़रत की बेड़ियों को तोड़ कर यहाँ
प्यार और साथ के रंग में खुद को रंग लूँ।