बात आदर्शों की है,
वरना पाल तो जानवर भी लेते है अपने बच्चों को।
Aarti Sirsat
भुल गई है.... ऋतुएँ अपने महीनों को,
अब बरसात किसी भी मौसम में आ जाती है....
फैल रहा है चारों तरफ़ अधर्म का माया जाल,
इंसानियत भी अब इंसान पर रो जाती है....
आरती सिरसाट
ममता की मुरत है....!
प्यारी सी जिसकी सुरत है....!!
पल पल रहती जिसकी जरूरत है....!!!
माँ से ही तो दुनिया ये इतनी खूबसूरत है....!!!!
कुमारी आरती सिरसाट
जो मेरी माँ का,
माँ की तरह ध्यान रखतें है....
उन्हें मैं पिता कहती हूँ....
आरती सिरसाट
अपनी गलती को हमेशा याद रखिये,
क्योंकि यही गलती आपको दोबारा गलती नहीं करने देगी....
आरती सिरसाट
बडी अजीब बरसात हमारे शहर में हो रही थी...!
आसमां उदास था और जमीन रो रही थी...!!
...आरती सिरसाट
औरत से ही संसार आबाद है...!
और औरत से ही संसार बरबाद भी है...!!
...आरती सिरसाट
जिन्दगी हमारी जान लेने पर अड़ी थी...!
जब देखा दो कदम चलकर, मंजिल तो रास्ते में ही पड़ी थी...!!
...आरती सिरसाट
अनजानी सी राह में,
अनजान सफर है...।
लापता है मंजिल और
बेगाना हमसफर है...।।
...आरती सिरसाट